Bank Minimum Balance Rule: बैंक में मिनिमम पैसा रखने का लिमिट तय वरना कटेगा पैसा

Bank Minimum Balance Rule: भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से बैंक खाता धारकों के लिए न्यूनतम शेष राशि (मिनिमम बैलेंस) को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। यदि आपका खाता भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, केनरा बैंक या किसी अन्य राष्ट्रीयकृत बैंक में है, तो आपको इन नई व्यवस्थाओं की जानकारी रखना अत्यंत आवश्यक है।

प्रत्येक बैंक अपने ग्राहकों के लिए एक निर्धारित न्यूनतम शेष राशि तय करता है। यदि आपके खाते में इससे कम धनराशि रहती है, तो बैंक आपसे शुल्क वसूलता है। यह शुल्क आपके खाते में जब भी कोई लेन-देन होता है, तो स्वतः काट लिया जाता है। कुछ बैंकों ने अब यह सीमा ₹50,000 तक बढ़ा दी है, जिसके बारे में बचत खाता धारकों को विशेष रूप से जानना चाहिए।

बैंक ग्राहकों के लिए शर्तें

यदि आप किसी भी बैंक में खाताधारक हैं, तो आपको हर परिस्थिति में बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम शेष राशि की सीमा का पालन करना होगा। इसका अर्थ यह है कि आपको कम से कम उतनी धनराशि अपने खाते में बनाए रखनी होगी, अन्यथा आपका खाता ऋणात्मक हो सकता है। जब भी आप अपने खाते में पैसा जमा करेंगे, तो पेनाल्टी शुल्क काटा जाएगा।

इसके अतिरिक्त, जो खाताधारक लगातार कई वर्षों से कोई लेन-देन नहीं कर रहे हैं, उनके खाते निष्क्रिय किए जा रहे हैं या फिर पूर्णतः बंद कर दिए जा रहे हैं।

विभिन्न बैंकों की न्यूनतम शेष राशि सीमा

आईसीआईसीआई बैंक ने अपने बचत खाता धारकों के लिए न्यूनतम शेष राशि की सीमा ₹10,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दी है। यह नियम विशेष रूप से महानगरीय शहरों और बड़े नगरों में लागू है। यह नई व्यवस्था 1 अगस्त 2025 से प्रभावी हो गई है।

वहीं दूसरी ओर, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ौदा, केनरा बैंक, यूको बैंक जैसे अन्य बैंकों में अलग-अलग नियम लागू हैं। इन बैंकों में न्यूनतम ₹1,000 रखने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री जन धन योजना के खाताधारकों और छोटे सहकारी तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में शून्य शेष राशि की सुविधा उपलब्ध है। इसका मतलब यह है कि आपके खाते में एक रुपया भी नहीं होने पर भी कोई शुल्क नहीं काटा जाएगा।

निष्क्रिय खातों की समस्या

जो खाताधारक पिछले दो या तीन वर्षों से अपने बैंक खाते में धनराशि तो रखे हुए हैं, परंतु कोई लेन-देन नहीं कर रहे हैं, उनके खाते बंद किए जा सकते हैं। सबसे पहले ऐसे खाताधारकों को अपनी केवाईसी (ग्राहक पहचान प्रक्रिया) अपडेट करानी होगी या फिर नियमित लेन-देन शुरू करना होगा।

लेन-देन न करने या केवाईसी अपडेट न कराने की स्थिति में, ऐसे खाताधारकों के बैंक खाते निष्क्रिय कर दिए जा सकते हैं। पुनः सक्रिय कराने के लिए आपको केवाईसी की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। हालांकि, खाता बंद करने से पहले बैंक द्वारा पत्र भेजकर या फोन करके एक बार अवश्य सूचित किया जाता है।

ग्राहक संपर्क प्रक्रिया

भारतीय रिज़र्व बैंक के नए नियमों के अनुसार, खाताधारकों को एसएमएस, पत्र या ईमेल के माध्यम से खाता बंद करने से पूर्व सूचना दी जाएगी। इस परिपत्र में बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि यदि कोई खाता बंद किया जाता है और खाताधारक से संपर्क नहीं हो पाता, तो बैंक को नामांकित व्यक्ति (नॉमिनी) से संपर्क करना होगा। नामांकित व्यक्ति को सूचित करके धनराशि निकालने की प्रक्रिया के बारे में बताना होगा।

यह नई व्यवस्था ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए बनाई गई है, परंतु साथ ही यह भी आवश्यक है कि खाताधारक अपनी जिम्मेदारियों को समझें और नियमित रूप से अपने खाते की निगरानी करते रहें।

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